असंतुलित खानपान और आरामदेह जीवनशैली के चलते लिवर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। शराब के अलावा लिवर के बीमार होने की वजह धूम्रपान, तैलीय व खट्टी चीजों का ज्यादा सेवन भी है। अगर लिवर स्वस्थ रखना है तो चाय, चीनी कम लें और तेल बदल-बदल कर खाएं और हरी सब्जियों का सेवन करें। सब्जी बनाने में कुछ दिन सरसों का तो कुछ दिन सोयाबीन का प्रयोग करें। कुछ दिन सिर्फ देसी घी प्रयोग करें। इससे बीमारी का खतरा कम हो जाता है। रिफाइंड ऑयल कम से कम खाएं। फैटी लिवर की एक बड़ी वजह मिलावटी तेल भी है। इसके साथ ही एरोबिक एक्सरसाइज करें और रोजाना 30 से 45 मिनट रोजाना तेज चलें। सिर्फ योग के सहारे लिवर को स्वस्थ नहीं रखा जा सकता है। कैसे स्वस्थ रखें लिवर और बचाव के उपाय क्या हैं, इस बारे में केजीएमयू के मेडिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा से बातचीत की गई। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...
शरीर के लिए लिवर कितना उपयोगी है?
लिवर पाचन तंत्र का एक प्रमुख हिस्सा है। हम जो खाते या पीते हैं, वह लिवर से होकर गुजरता है। यह त्रिभुजाकार होता है। यह ग्लूकोज से बनने वाले ग्लाइकोजन यानी शरीर के ईंधन संग्रहण का कार्य करता है। पचे हुए भोजन से वसा और प्रोटीन को व्यवस्थित करने में मदद करता है। खून का खक्का बनाने के लिए जरूरी प्रोटीन बनाता है। शरीर में विषैली चीजों को नष्ट करता है। खून बनाने, गैलेक्टोज को ग्लूकोज में परिवर्तित करने, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को वसा में परिवर्तित करने का कार्य करता है। यह संक्रमण और बीमारियों से लड़ता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है।
लिवर को स्वस्थ कैसे रखें ?
सबसे पहले वजन नियंत्रित करें। डायबिटीज, थायरॉयड और हाइपरटेंशन से खुद को बचाएं। शराब व धूम्रपान छोड़ें। फिर एरोबिक एक्सरसाइज करें। इसमें करीब 40 मिनट तेज गति से चलना सबसे ज्यादा कारगर माना जाता है। खाना उम्र के हिसाब से खाना चाहिए। इसके लिए डायटीशियन से फूड चार्ट बनवा लें। आलू, चावल, चीनी, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक्स, तेल का कम मात्रा में प्रयोग करें। प्रोटीन वाली चीजें जैसे दाल, दूध, सोयाबीन, हरी सब्जी को खानपान में बढ़ाएं। सलाद दोनों वक्त खाएं। उम्र 40 से अधिक है तो सावधानी बरतें। पानी की स्वच्छता पर ध्यान दें। बाजार के कटे फल, जूस का सेवन न करें। इसके बाद भी लिवर फैटी हो रहा है तो उसके लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं से स्थिति नियंत्रित हो जाती है।
फैटी लिवर की वजह क्या है?
जिस तरह मोटे होने पर हमारे शरीर के बाकी हिस्सों पर चर्बी चढ़ जाती है, उसी तरह से लिवर में भी चर्बी जमा होने लगती है। इससे फैट लिवर के नॉर्मल सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है। इससे लीवर बीमार हो जाता है। यह स्थिति आगे चलकर हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फाइब्रोसिस और कैंसर के रूप में सामने आया है। शराब और धूम्रपान से भी फैटी लिवर के केस ज्यादा आते हैं। बहुत ज्यादा खाना, जंक फूड ज्यादा खाना और श्रम नहीं करने से शरीर में फैट जमा होता है और लिवर को फैटी बनाता है। लिवर के फैटी होने के बाद भी लापरवाही बरतने पर लिवर कैंसर हो जाता है।
बीमारी के लक्षण क्या हैं?
पाचन तंत्र में खराबी, मुंह से बदबू आना, आंखों के नीचे काले धब्बे बनना, पेट में हमेशा दर्द रहना, भोजन का सही ढंग से नहीं पचना, भूख न लगना, पेशाब या मल गहरे रंग का होना, पीलिया होना, पेट के अंदर पानी भर जाना लिवर के बीमार होने के लक्षण हैं। जब लिवर में टॉक्सिन ज्यादा हो जाती है तो उल्टी होने लगती है। कई बार खून की उल्टी भी होती है। बिना ज्यादा चलें पैरों में सूजन होना, पेट में दाहिनी ओर ऊपर की ओर दर्द होने पर भी डॉक्टर से सलाह देनी चाहिए। फैटी लिवर के एडवांस स्टेज में पहुंचने पर मरीज का दिमाग भी कमजोर होने लगता है।
लिवर कैंसर क्या है?
लिवर का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता रहता है और फिर कैंसर का रूप ले लेता है। लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर भी कहा जाता है। इसमें लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। ज्यादातर लोगों को शुरुआत में इसके लक्षण समझ में नहीं आते हैं, लेकिन लगातार वजन कम होने, उल्टी होने, पीलिया, भूख की कमी, बुखार बना रहे, पैरों में सूजन आदि लक्षण हो तो तत्काल जांच करानी चाहिए।
कब और किन लोगों को जांच करानी चाहिए ?
जिन्हें मोटापा या अन्य बीमारियां हैं, उन्हें हर छह माह में एक बार लिवर की जांच करानी चाहिए। इसी तरह जिन लोगों को बीमारी नहीं है उन्हें सालभर में एक बार जांच करानी चाहिए। डायबिटीज या थायरॉयड है तो उसकी जांच कराएं। इसी तरह लिवर फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए। कई बार लिपिड प्रोफाइल कराया जाता है। अल्ट्रासाउंड से भी लिवर की स्थिति पता चल जाती है। मरीज गंभीर है तो फाइब्रोस्कैन किया जाता है। इससे पता चलता है कि लिवर कितना बीमार है।
केजीएमयू में जांच की क्या सुविधाएं हैं?
यहां लिवर संबंधी जांच की सभी सुविधाएं हैं। ब्लड जांच से बीमारी का पता चल जाता है। अल्ट्रासाउंड, फाइब्रोसिस से लिवर की स्थिति पता चल जाती है। जिन लोगों में लिवर कैंसर के लक्षण होते हैं, उनकी बायोप्सी, सीटी स्कैन और एमआईआर कराई जाती है। अब तो लिवर ट्रांसप्लांट भी शुरू हो गया है।